चाँद तारे, न ये रंगो - बू चाहिए
कुछ खिलौने नहीं, मुझको तू चाहिए
पत्थरों को तराशा किया उम्र भर
तेरे जैसा कोई हू -ब-हू चाहिए
वो मददगार हो, या हो दुश्मन मेरा
पीठ पीछे नहीं रू - ब- रू चाहिए
अब हवाएँ भी रचने लगीं साज़िशें
अब चराग़ों को भी कुछ लहू चाहिए
वो मिलेगा यक़ीनन मगर शर्त है
आख़िरी सांस तक जुस्तजू चाहिए
- दीक्षित दनकौरी
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