शाम के वक़्त जाम याद आया
कितना दिलचस्प काम याद आया
जब भी देखा कोई हसीं चेहरा
मुझको तेरा सलाम याद आया
सुनके क़िस्से ख़ुदा की अज़्मत के
आदमी का मक़ाम याद आया
बंसरी की नवा को तेज़ करो
आज राधा को श्याम याद आया
सहन-ए-मस्जिद में भी हमें 'मोहसिन'
मयकदे का क़याम याद आया
- मोहसिन नक़वी
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